विस्थापित नेता कमालुद्दीन अंसारी ने उच्च न्यायालय के आदेश पर डीपीएलआर में दिया आवेदन।
दैनिक शुभ भास्कर,
साजिद, ब्यूरो चीफ
रांची (झारखंड) 20 सितंबर 2024 :- झारखंड के बोकारो जिले में बोकारो इस्पात प्रबंधन द्वारा तलगड़िया से टुपकाडीह रेलवे लाइन चौड़ीकरण के नाम पर धनघरी गांव के 35 परिवारों के 100 वर्षों से बने घरों को बिना मुआवजे के तोड़े जाने से संबंधित मामले में किए गए याचिका संख्या 2859/2023 के आलोक में माननीय उच्च न्यायालय द्वारा दिनांक 22/07/2024 के आदेश का पत्र संलग्न करते हुए नय्यालय के दिशा निर्देश के अनुसार विस्थापित नेता कमालुद्दीन अंसारी साथ में मासस नेता गयाराम शर्मा, झारखंड के विस्थापित सह मजदूर नेता अब्दुल्लाह अंसारी, यूनियन नेता चुन्नू बरनवाल एवं अन्य विस्थापितों की उपस्थिति में डीपीएलआर के प्रधान सहायक जितेंद्र कुमार को आवेदन दिया । आवेदन के साथ माननीय उच्च न्यायालय रांची के वाद संख्या 45/1991,46/1991 का दिनांक 06/12/2007 को दिए गए जजमेंट की छाया प्रति वेब कॉपी एंटायर ओर्डरशीट एस एल पी 4682/4683/2008 की छाया प्रति एवं अन्य संबंधित कई दस्तावेज जमा किए गए । भूमि मालिकों में नौशाद अंसारी, अब्दुल अजीज अंसारी, कियामुद्दीन अंसारी, मोहम्मद इलयास अंसारी , जियाउल हक अंसारी और विस्थापित नेता कमालुद्दीन अंसारी जो न्याय के लिए न्यायालय गए थे तथा अन्य भूमि धारकों की इसमें सहमती है। मासस नेता गयाराम शर्मा ने कहा कि बोकारो इस्पात प्रबंधन अपनी मनमानी की सभी प्रकाष्ठा पार कर चुकी है। बोकारो इस्पात प्रबंधन में बैठे कई अधिकारी जो खुले आम गुंडई और भूमि अधिग्रहण में अन्याय पूर्वक व्यवहार कर रहै है।
उन्होंने बताया कि बोकारो इस्पात प्रबंधन ने धनघरी गांव के 35 परिवारों को बिना मुआवजे दिए उनके जमीन से बेदखल कर दिया, जो पिछले 100 वर्ष से अधिक समय से वहां रहते थे। उन्होंने आरोप लगाया कि बोकारो इस्पात प्रबंधन ने कई लोगों की हत्या करवा चुका हैं और जन नेता और पीड़ित पर फर्जी मुकदमा करवाने का काम करती है। इन विस्थापितों ने उच्च न्यायालय के आदेश के बाद डीपीएलआर में आवेदन दिया है, जिसमें उन्होंने अपने अधिकारों की मांग की है। उन्होंने बताया कि उन्होंने अपना आधार कार्ड, खतियानी पेपर और अन्य दस्तावेज भी जमा दिए हैं।
माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार, वाद संख्या 45/1991, 46/1991 का जजमेंट दिनांक 06/12/2007 को दिया गया था, जिसमें बोकारो इस्पात प्रबंधन को विस्थापितों को मुआवजा देने का निर्देश दिया गया था।
बेघर पीड़ितों ने कहा बोकारो इस्पात प्रबंधन से न्याय की मांग की है और कहा है कि वे अपने अधिकारों के न्यायालय से लेकर सदन तक न्याय की गुहार लगाते रहेंगे।