17 नवंबर 2024

बिहार प्रदेश के औरंगाबाद जिले में जब पत्रकारों के साथ रिश्वत के लिए न्यायालय में सरेआम गैर कानून तरीकों से जुर्म हो सकता है तो औरों के साथ क्या होता होगा, यह किसी से छुपा हुआ नहीं है। इसलिए विधि सेवा प्राधिकार का तथ्यों से परे/ तथ्यहीन न्यूज़ ना भेजें, यह आप सबों से आग्रह है।

यह सर्वविदित सत्य हैं कि बिहार प्रदेश के औरंगाबाद जिले का व्यवहार न्यायालय में माननीय न्यायिक दंडाधिकारी महोदय द्वारा अपनी गलतियों पर पर्दा डालने के लिए निर्दोष पत्रकारों एवं सोशल एक्टिविस्ट के जुबान को बंद करने एवं कलम पर गैर कानून तरीकों से रोक लगाने के लिए पद और प्रदत शक्तियों का सरेआम दुरुपयोग किया जा रहा है , जिसकी सुनवाई जिला स्तर पर माननीय जिला एवं सत्र न्यायाधीश महोदय के द्वारा करके घटनाओं की पुनरावृत्ति पर रोक लगाने की जगह जुल्म की शिकार के लिए पत्रकार और उनके परिवारों को छोड़ दिया गया है , जो बेहद ही चिंताजनक हैं,और न्यायालय पर सवालिया निशान है।

पत्रकार एवं उनके परिवार भले ही गैर कानूनी तरीकों से जेल चले जाए ,लेकिन न्यायालय में व्याप्त रिश्वतखोरी के खिलाफ आवाज को तब तक उठाते रहेंगे, जबतक न्याय की आड़ में रिश्वतखोरी पर रोक नहीं लग जाए तथा पीड़ित व प्रभावित पत्रकार एवं इनके परिवार को विधि सम्मत न्याय नहीं मिल जाता है।

न्यायिक दंडाधिकारी द्वारा पदीय शक्ति व प्रदत शक्तियों का दुरुपयोग कर पत्रकार को जेल भेजने की भय दिखाकर, एक सोशल एक्टिविस्ट एस वरिष्ठ पत्रकार का कलम को रोका नहीं जा सकता है, यह एक आप सबों से एक सोशल एक्टिविस्ट सह पत्रकार का वादा है।

भवदीय
अनिल कुमार मिश्र,
सोशल एक्टिविस्ट सह वरिष्ठ पत्रकार
औरंगाबाद (बिहार)
मो.नं.98 5231 5231

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