• भगवान महावीर के जीवनी के केंद्र बिंदु में है अहिंसा, ईमानदारी, चोरी न करना, शुद्धता और अपरिग्रह की शिक्षाएँ
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शशि भूषण सिंह, ब्यूरो चीफ , गया (बिहार) 21 अप्रैल 2024 :- गया जिले में जैन समुदाय के द्वारा महावीर जयंती बड़े धूमधाम से मनाया गया है। यह त्यौहार भगवान महावीर के जन्म का जश्न के रूप मनाता है । जैन धर्मलाम्बी के द्वारा आज महावीर की मूर्ति के साथ प्रभात फेरी निकला गया और रास्ते में लोग धार्मिक गीत गाते दिखे रहे थे I इस दिन, जैन समुदाय के लोग दान करके, प्रार्थना करके और उपवास रखकर, जैन मंदिरों में जाकर, सामूहिक प्रार्थनाएँ आयोजित करके और ध्यान करके हर्षोल्लास के साथ मनाया गया I
जैन पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान महावीर जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर हैं। जैन ग्रंथों और धार्मिक लिपियों के अनुसार, भगवान महावीर का जन्म चैत्र माह (हिंदू कैलेंडर) के शुक्ल पक्ष के 13वें दिन पटना से कुछ किलोमीटर दूर बिहार के कुंडलग्राम (अब कुंडलपुर) में हुआ था। उस समय वैशाली राज्य की राजधानी मानी जाती थी। हालाँकि, महावीर के जन्म का वर्ष विवादित है।
श्वेतांबर जैनियों के अनुसार, महावीर का जन्म 599 ईसा पूर्व में हुआ था जबकि दिगंबर जैन 615 ईसा पूर्व को उनका जन्म वर्ष मानते हैं। उनके माता-पिता – राजा सिद्धार्थ और रानी त्रिशला ने उनका नाम वर्धमान रखा था। श्वेतांबर समुदाय की मान्यताओं के अनुसार, महावीर की मां ने 14 सपने देखे थे, जिनकी बाद में ज्योतिषियों ने व्याख्या की, जिनमें से सभी ने कहा कि महावीर या तो सम्राट बनेंगे या ऋषि (तीर्थंकर)।
जब महावीर 30 वर्ष के हुए, तो उन्होंने सत्य की खोज में अपना सिंहासन और परिवार छोड़ दिया। वह एक तपस्वी के रूप में 12 वर्षों तक निर्वासन में रहे। इस दौरान उन्होंने अहिंसा का प्रचार करते हुए सभी के प्रति श्रद्धा का व्यवहार किया। इंद्रियों को नियंत्रित करने में असाधारण कौशल दिखाने के बाद उन्हें “महावीर” नाम मिला। यह व्यापक रूप से माना जाता है कि जब महावीर 72 वर्ष के थे, तब उन्हें ज्ञान प्राप्त हुआ।
भगवान महावीर का अहिंसा धर्म का सिद्धान्त आज के समय में सर्वाधिक प्रासंगिक और रुरी हो गया है क्योंकि वर्तमान समय में मानव ,समाज,प्रान्त और देश के रूप बंटकर एक दुसरे से जाति, समुदाय, धर्म और राष्ट्र के नाम पर अपने स्वार्थ के वशीभूत हो कर हिंसा के लिये तत्पर दिखाई दे रहा है आज जिस प्रकार की समस्याओं से धिरे हैं उन सभी का समाधान भगवन महावीर के सिद्धान्त और दर्शन में है इनके द्वारा दिए गए उपदेश और अमृत वचन को अपने जीवन तथा आचारण में आत्मशात कर हम अपने मानव जीवन को सार्थक एवं समाज को सुन्दर बना सकते हैं ।
स्थानीय जैन धर्म गुरु ने बताया कि भगवान महावीर हमेशा से ही लोगों को सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलने की राय देते थे। अगर कोई अपना जीवन सफल बनाना चाहता है, तो उसे महावीर स्वामी के संदेशों से प्रेरणा लेनी चाहिए। हर किसी ने भगवान महावीर के अनमोल वचनों में लोगों को जीवन का सही मार्ग बताया गया है।